हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत को “कामिल उज़-ज़ियारात” पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیہ السلام:
«إِنَّ البُکاءَ عَلَی الحُسَینِ (علیهالسلام) یَحُطُّ الذُّنوبَ العِظامَ.»
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:
वाकई हुसैन (अ) के लिए रोने से बड़े-बड़े पाप भी मिट जाते हैं।
कामिल उज़-ज़ियारात, पेज 101
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